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जैसा की आप लोगो को पता ही है की हमारी संस्कृति में विभिन्न प्रकार की लोक कलाएं मौजूद है। उन्ही में से एक प्रमुख कला है एपण (Aipan) जो की आज की आज समाज में एक कला बनकर ही अपितु एक उधोग के रूप में भी प्रकाशित हो रही है। जिसने कई बेरोज़गारो को रोज़गार की राह दिखाई है।
"अपनी कला द्वारा अपना जीवन निर्वाह करने वाला इंसान ही व्यवसायिक कहलाता है।"कुमाऊं सांस्कृतिक
ऐपण (Aipan) कला परिचय
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Aipan (ऐपण) |
कुमाऊं की स्थानीय चित्रकला की शैली को एपण के रूप में जाना जाता है। मुख्यतया उत्तराखंड में शुभ अवसरों पर बनायीं जाने वाली रंगोली को ऐपण (Aipan) कहते हैं। ऐपण कई तरह के डिजायनों से पूर्ण होता है। फुर्तीला उंगलियों और हथेलियों का प्रयोग करके अतीत की घटनाओं, शैलियों, अपने भाव विचारों और सौंदर्य मूल्यों पर विचार कर इन्हें संरक्षित किया जाता है।
ऐपण (Aipan) के मुख्य डिजायन -चौखाने , चौपड़ , चाँद , सूरज , स्वस्तिक , गणेश ,फूल-पत्ती, बसंत्धारे,पो, तथा इस्तेमाल के बर्तन का रूपांकन आदि शामिल हैं। ऐपण के कुछ डिजायन अवसरों के अनुसार भी होते हैं।
कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने एपण कला को जीवित रखने का प्रयास किया है। ग्रामीण अंचलों में यह परंपरा काफी समृद्ध है। संस्थाये ऐंपण कला सिखाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाती रहती है। प्रमुख रूप से इसमें महिलाओं को लक्ष्मी चौकी, विवाह चौकी (जिसें दुल्हेर्ग कहा जाता है), दिवाली की चौकी तैयार करने के तरीके सिखाए जाते हैं।
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Aipan |
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Aipan |
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